अयोध्या के राम मंदिर के गर्भ गृह में पहली बार दिखी राम लाल की मूर्ति

22 जनवरी 2024 को अयोध्या में राम लाल के राम मंदिर का उद्घाटन समारोह होना है और वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा मंदिर में रामलाल की प्राण प्रतिष्ठा होने का निश्चय हुआ है। इससे पहले ही गुरुवार को दोपहर के पश्चात रामलाल के विग्रह को मंदिर के नवीनतम गर्भ गृह में स्थापित कर दिया गया है। जिसकी आंखों पर अभी पट्टी बंधी हुई है, जिसे प्राण प्रतिष्ठा के समय मंत्रों तथा पूजा पाठ के पश्चात खोला जाएगा जिससे रामलाल की प्राण प्रतिष्ठा हो जाएगी और मंदिर में रामलाल की पूजा प्रारंभ हो जाएगी और सैकड़ो सालों बाद पुनः राम लाल अपने स्थान पर विराजित हो जाएंगे।

राम मंदिर के गर्भ गृह में पहली बार दिखी राम लाल की मूर्ति

लेकिन क्या आप जानते हैं कि 22 जनवरी को ही रामलाल की प्राण प्रतिष्ठा का समय क्यों निर्धारित किया गया है और 22 जनवरी कोई लंबे समय के पश्चात रामलाल के प्राण प्रतिष्ठा क्यों की जा रही है। इस लिए यदि आपको पता नहीं है, तो हम आपको बताते चले की 22 जनवरी 1949 को रात्रि 12:00 बजे पांच अनजान साधुओं ने रामलाल की प्राण प्रतिष्ठा की थी, तभी से यह मंदिर विवाद चला आ रहा है ऐसा माना जाता है कि 1500 ई के लगभग रामलाल के मंदिर को तोड़कर उसे बाबरी मस्जिद में परिवर्तित कर दिया गया था किंतु 1949 को भारत के अलग-अलग क्षेत्र से आए पांच साधुओं ने रात्रि में राम लाल के मंदिर में भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा की थी, जिसमें पांच साधु थे जिनमें गोरक्षपीठ के महंत दिग्विजय नाथ, देवरिया के बाबा राघवदास, निर्मोही अखाड़े के बाबा अभिरामदास, दिगंबर अखाड़े के महंत परमहंस रामचंद्र दास और गीताप्रेस गोरखपुर के संस्थापक हनुमान प्रसाद पोद्दार शामिल थे।

ऐसा माना जाता है कि उसे समय बाबरी मस्जिद की पहरेदारी में अब्दुल बरकत अलीकी ड्यूटी लगी हुई थी, तभी बरकत अली की आंख अचानक रात में लग जाती है, क्यों कि दिसंबर का महीना और कड़कड़ाती ठंड में उन्हें नींद आ जाती है और जब उनकी नींद खुलती है तो वह देखते हैं कि मंदिर के अंदर से कुछ आवाज आ रहे हैं उन्होंने वहां जाकर देखा तो मंदिर में कुछ साधु एकत्रित हो गए थे और वह रामलाल के प्राण प्रतिष्ठा के लिए पूजा पाठ कर रहे थे।

राम लाल की मूर्ति

तब से लेकरअभी पिछले निर्णय तक रामलालका मंदिर विवादित रहा है उसे समय हुई उसे घटना के कारण वहां पर सरकार द्वारा ताला लगवा दिया जाता है। जिसे इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा सन 1885 में एक सुनवाई के पश्चात खोलने का आदेश दिया जाता है। ताला खोलने के बाद राम मंदिर विवाद और बढ़ गया और सन 1992 में कुछ कर सेवकों ने बाबरी मस्जिद के ढांचे को गिरा दिया उसके पश्चात काफी लंबे समय तक चला कोर्ट केस के पश्चात रामलाल के क्षेत्र को रामलाल अखाड़ा निर्मोही अखाड़ा तथा रामलला मंदिर तीन भागों में विभाजित करके हिंदुओं को सौंप दिया गया है तथा बाबरी मस्जिद के लिए सरकार द्वारा नई जगह परस्थान देने की बात कही गई थी, उसके पश्चात से राम मंदिर का निर्माण जोरो से हो रहा है जिसका शिलान्यास 22 जनवरी 2024 को होना तय हुआ है।

राम मंदिर के गर्भ ग्रह में पहली बार देखी मूर्ति

अयोध्या के राम मंदिर में 22 जनवरी 2024 को मंदिर में रामलाल की प्राण प्रतिष्ठा होनी है, जहां पर गुरुवार को गर्भ ग्रह में एक मूर्ति की स्थापना की गई है जिसकी आंखों पर पट्टी बंधी हुई है जिसे 22 जनवरी 2024 को प्राण प्रतिष्ठा के पश्चात मंत्र और पूजा करने के बाद पट्टी को खोला जाएगा और 23 जनवरी 2024 से मंदिर जनता के लिए खोल दिया जाएगा। रामलाल की मूर्ति को मैसूर के मशहूर मूर्तिकार अरुण योगी राज ने तैयार की है, जिसकी लंबाई 51 इंच है और यह मूर्ति अयोध्या के नवनिर्मित मंदिर के गर्भ गृह में बुधवार को दोपहर पश्चात विधि विधान तथा पूजा के पश्चात स्थापित की गई है जिसमें 22 जनवरी 2024 को प्राण प्रतिष्ठा होनी हैं गुरुवार को दोपहर 4 घंटे पूजा और मंत्रोंचार करने के पश्चात नवीनतम गर्भ गृह में मूर्ति स्थापित की गई है, जिसकी आंखों पर पीले रंग की पत्ती तथा गले में गुलाबों के गजरे पड़े हुए हैं। 

Leave a Comment

error: Content is protected !!